उत्तर प्रदेश में बलिया के एक युवा किसान ने काले आलू की खेती कर नई उम्मीदें जगा दी हैं। यहां सोहांव विकास खण्ड के दौलतपुर गांव के किसान संतोष सिंह ने एमए, बीएड करने के बाद खेती को चुना तो घर-परिवार के अलावा अन्य लोग भी चौंक पड़े। पिता का साया सिर से असमय उठ जाने से शुरू में बहुत सी मुसीबतों ने घेरा लेकिन वह अपने इरादों से डिगे नहीं। शुरुआत में परंपरागत खेती से उन्होंने अपनी शुरुआत की लेकिन परम्परागत खेती से परिवार चलाना जब मुश्किल हो गया तो उन्होंने उसमें नवाचार का सहारा लिया।
संतोष सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने जाना कि काले आलू में सेहत का खजाना छिपा हुआ है तो वह इसकी खेती की ओर अग्रसर हुए। काले आलू में वसा नहीं होता है बल्कि यह रक्त की कमी को पूरा करके शरीर में मोटापा कम करता है। इस आलू में 40 प्रतिशत तक आयरन रहता है। इसमें बिटामिन बी-6 और फ्लोरिक एसिड भी मिलता है। इसके अलावा काला आलू हीमोग्लोबिन बढ़ाने का काम करता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए यह आलू सर्वाधिक फायदेमंद है। साथ में खून की कमी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह है।
कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव के प्रबंधक डा. वेद प्रकाश सिंह कहते हैं कि चूंकि काला आलू, काला, गेहूं, काला चना व काला चावल प्राकृतिक रूप से अपने मूल रूप में हैं, इसलिए इनकी गुणवत्ता अधिक है। यही वजह है कि इनकी पैदावार भी अधिक होती है। आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण इनका रंग काला होता है। इसीलिए ये स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।
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